“Engineer-आस्तु” (हास्य-गीत)

कुछ वर्षों पहले बड़ी ही शान के साथ कहा जाता था, की “सामने वाला मकान, Engineer साहब का है”| आज माँ-बाप पढाई के प्रति इतना अधिक सचेत हैं, की बच्चे का नामकरण संस्कार बाद में होता है, वो भविष्य में क्या बनेगा पहले ही तय हो जाता है| 
देश को लाखों की संख्या में Engineers की ज़रूरत है, इस बात को नकारा नहीं जा सकता| आज गली-गली खुलते कॉलेजों के बीच Engineering की पढ़ाई एक मज़ाक बन कर रह गई है| आप ने ‘तथास्तु’ सुना होगा, पर “Engineer-आस्तु”?..ये मेरा आशीर्वाद है, हर उस Student को जो दिल से Engineer बनना चाहता है| जो कोई भी Engineer वाली सोंच/प्रतिभा रखता हो वो इस क्षेत्र में खूब तरक्की प्राप्त करे, और हिन्दुस्तान का नाम रोशन करे| तो फिर “Engineer-आस्तु”-




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